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क्यों अटका है बोकारो एयरपोर्ट का काम? बड़ी वजह का हुआ खुलासा

बोकारो हवाई अड्डा, जो राज्य के औद्योगिक विकास और आम जनता की यात्रा सुविधा को नया आयाम देने की क्षमता रखता है। एक बार फिर विभिन्न प्रशासनिक व तकनीकी बाधाओं में उलझकर रह गया है।

एक ओर जहां एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और सेल के बीच करार की समाप्ति के बाद कोई पहल नहीं की गई है, वहीं राज्य सरकार की ओर से आवश्यक बुनियादी संसाधनों की कमी भी हवाई अड्डे के संचालन में गंभीर अड़चन बन रही है।

इधर भाजपा के नेता इसे राज्य सरकार की गलती बता रहे हैं तो झामुमो व कांग्रेस के नेता इसे केन्द्र सरकार की समस्या बता रहे हैं, जबकि 2018 में इस एयरपोर्ट के जीर्णेाद्धार कार्य का शिलान्यास किया गया। इसके बाद से एएआई व सेल के साथ राज्य सरकार के अधिकारी इसे चालू नहीं होने दे रहे हैं। इधर जिस नेता के पास जितना अनुभव है उसका उपयोग करते हुए एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।

बोकारो एयरपोर्ट का फैक्ट फाइल

एयरपोर्ट प्रबंधन की अनदेखी से अनुबंध का नवीकरण अधर में

बोकारो हवाई अड्डे को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सौंपने के लिए सेल और एएआई के बीच दो बार करार किया गया। पहला करार 2018 से 2021 तक और दूसरा 2021 से 2024 तक चला, लेकिन 2024 की समाप्ति के बाद अब तक सेल प्रबंधन ने इस करार के नवीकरण के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। इससे हवाई अड्डे की संचालन प्रक्रिया ठप हो गई है और आने-जाने की संभावनाएं एक बार फिर धूमिल हो गई हैं।

तकनीकी मंजूरी में देरी से ओएलईएस सर्वेक्षण की वैधता समाप्त

हवाई अड्डों के परिचालन के लिए अनिवार्य ओएलएस सर्वेक्षण की वैधता दिसंबर 2024 में समाप्त हो चुकी है। यह सर्वेक्षण हर दो वर्ष में एक बार किया जाना चाहिए, लेकिन इसकी समय पर नवीकरण नहीं होने से हवाई सुरक्षा मानकों पर सवाल उठ रहे हैं। इस तकनीकी प्रमाणपत्र की अनुपस्थिति में डीजीसीए से हरी झंडी मिलना मुश्किल है।